भारत में रेल परिवहन का विकास 16 अप्रैल 1853 ई० से माना जाता है। जब पहली बार मुंबई से थाणे के बीच 34 किलोमीटर की लंबाई में रेलगाड़ी चली थी । इसके बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपने लाभ के लिए रेलों का जाल बिछाने पर जोर दिया । धीरे धीरे देशभर में रेलों की लंबाई बढ़ने लगी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने भी इसके विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया है। फलत: 1947-1948 में रेलमार्गों की कुल लंबाई लगभग 54 हजार किलोमीटर से बढ़कर 2006-2007 में लगभग 63 हजार 327 किलोमीटर हो गई। प्रशासनिक सुविधा के लिए भारतीय रेलवे को 16 क्षेत्रों में बांटा गया है। देश में सबसे बड़ा रेल क्षेत्र उत्तर रेलवे तथा सबसे छोटा उत्तर- पूर्वी सीमांत रेलवे है।
भारत के सभी रेलवे क्षेत्र तथा उसके मुख्यालय का नाम नीचे दिया गया है।
रेलवे क्षेत्र
1. उत्तर रेलवे
नई दिल्ली
2. पूर्व रेलवे कोलकाता
3. पश्चिम रेलवे चर्चगेट मुंबई
4. दक्षिण रेलवे चेन्नई
5. मध्य रेलवे मुंबई सेंट्रल
6. पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर
7. पूर्व-मध्य रेलवे हाजीपुर
8. उत्तर पूर्वी सीमांत रेलवे मालीगांव (गुवाहाटी)
9. दक्षिण - मध्य रेलवे सिकंदराबाद
10. दक्षिण पूर्व रेलवे कोलकाता
11. पूर्वी तटवर्ती रेलवे भुवनेश्वर
12. उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद
13. उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर
14. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर
15. दक्षिण पश्चिम रेलवे हुबली
16. पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर
- भारत के आजादी के बाद ही सरकार ने देश में रेल की परिवहन के विकाश के लिए जोर दिया ।
दो बड़े शहरों और महानगरों के बीच तीव्र गति से चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस एवं शताब्दी एक्सप्रेस को चलाया गया ताकि यात्रियों को कम समय में जल्दी एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जा सके।
- तथा वहीं छोटे शहरों को महानगरों और बड़े शहरों को जोड़ने के लिए जन सताब्दी एक्सप्रेस को भी चलाने का निर्णय लिया गया।
- 1 अगस्त 1947 से रेल मंत्रालय ने रेल यात्री बीमा योजना को शुरू की गई।
- कोलकाता एवं दिल्ली में मेट्रो रेल के तहत भूमिगत रेल सेवा दी गई।
- रेल संपत्तियों और रेल यात्रियों के सुरक्षा और सुविधा के लिए जीआरपी (GRP) एवं आरपीएफ (RPF) की व्यवस्था की गया।
- रूस के बाद भारत में सबसे अधिक विद्युतीकृत रेलगाड़ियां चलाई जाती है।
- भारतीय रेल प्रणाली एशिया में सबसे बड़ी तथा विश्व में तीसरी बड़ी प्रणाली है।
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